लेखक:
राकेश तिवारी
उत्तराखंड के गरमपानी (नैनीताल) में जन्म। एक समय सारिका, धर्मयुग, रविवार, साप्ताहिक हिन्दुस्तान से लेकर तमाम पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों के प्रकाशन के साथ चर्चित। लम्बी खामोशी के बाद फिर से कथा-लेखन में सक्रिय और इधर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियों से फिर चर्चा में। कुछेक कहानियों का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद। एक कहानी पर फिल्म बनी है और एक कहानी के नाट्य-रूपान्तरण के बाद कई शहरों में नाट्य प्रस्तुतियाँ। कुछ कहानियाँ अन्य लेखकों द्वारा सम्पादित संग्रहों में शामिल। व्यंग्य सहित साहित्य की दूसरी विधाओं के अलावा बाल साहित्य लेखन भी। शुरुआती दौर में रंगकर्म और पटकथा लेखन से भी नाता। छिटपुट तौर पर पत्राकारिता का अध्यापन और अनुवाद कार्य भी। पहला कहानी संग्रह ‘उसने भी देखा’ (1993) और एक बाल उपन्यास ‘तोता उड़’ प्रकाशित। एक उपन्यास और पत्रकारिता पर एक पुस्तक का प्रकाशन शीघ्र ही। लम्बे समय से पत्रकारिता में रहते हुए राजनीति, खेल, कला, फिल्म, पर्यावरण, जनान्दोलन और अन्य समसामयिक मुद्दों पर लेखन और रिपोर्टिंग। साहित्यिक-सांस्कृतिक रिपोर्टिंग को नया आयाम और नये तेवर देने वाले पत्राकार के रूप में विशिष्ट पहचान। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में घुसपैठ और ताकझाँक के विविध अनुभव। वर्तमान में इंडियन एक्सप्रेस समूह के दैनिक जनसत्ता में विशेष संवाददाता। |
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चिट्टी जनानियाँराकेश तिवारी
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